मध्य प्रदेश में बेटियों की शिक्षा और आत्मनिर्भरता को लेकर एक जबरदस्त बदलाव देखने को मिल रहा है। राज्य सरकार की ‘सशक्त वाहिनी’ योजना के तहत अब तक 11,000 से ज़्यादा बालिकाओं को शैक्षणिक और शारीरिक प्रशिक्षण दिया जा चुका है — ताकि वे प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेकर सरकारी नौकरियों में अपनी जगह बना सकें। इस मिशन की असली सफलता तब दिखी जब इनमें से 156 बेटियों ने विभिन्न सरकारी पदों पर चयन पाकर पूरे प्रदेश को गौरवान्वित किया।
‘सशक्त वाहिनी’ कैसे बना बेटियों का सहारा
‘सशक्त वाहिनी’ केवल एक ट्रेनिंग कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो बेटियों के भीतर आत्मविश्वास जगाने का काम कर रहा है। यहां उन्हें न सिर्फ UPSC, MPPSC और पुलिस जैसी परीक्षाओं की तैयारी कराई जा रही है, बल्कि फिजिकल ट्रेनिंग से लेकर इंटरव्यू स्किल्स तक हर पहलू पर फोकस किया जाता है। खास बात यह है कि ग्रामीण और सामान्य परिवारों की बेटियां भी इस योजना का हिस्सा बनकर अपना भविष्य संवार रही हैं।
156 बेटियों ने सरकारी पदों पर पाई नियुक्ति
इस योजना के शुरुआती बैच से ही जो परिणाम सामने आए हैं, वे प्रेरणादायक हैं। अब तक 156 युवतियों का चयन पुलिस विभाग, प्रशासन, शिक्षा विभाग और अन्य सरकारी सेवाओं में हो चुका है। इनमें से कई ने पहली बार अपने गांव से बाहर निकलकर यह मुकाम हासिल किया। यह न केवल उनके लिए, बल्कि समाज के हर उस परिवार के लिए मिसाल है जहां बेटियों को सपने देखने से रोका जाता है।
शिक्षा, सम्मान और अधिकार — यही है असली सशक्तिकरण
राज्य सरकार इस योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान से जोड़ते हुए आगे बढ़ा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी कई बार कहा है कि “बेटियों को सशक्त बनाना, समाज को सशक्त बनाने की दिशा में सबसे मजबूत कदम है।” सशक्त वाहिनी के ज़रिए यही कोशिश की जा रही है कि बेटियां किसी पर निर्भर न रहें, बल्कि खुद दूसरों का सहारा बनें।
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भोपाल में 31 मई को होगा महिला महासम्मेलन
इस बदलाव को जश्न में बदलने के लिए मध्य प्रदेश सरकार 31 मई को भोपाल में ‘स्वावलंबी महिला, सशक्त राष्ट्र’ महासम्मेलन आयोजित करने जा रही है। इस आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं मुख्य अतिथि होंगे। हजारों महिलाएं और बेटियां इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बनेंगी। यह सम्मेलन न केवल उपलब्धियों का उत्सव होगा, बल्कि आने वाले भविष्य की दिशा भी तय करेगा।
लोगों का कहना है कि सरकार की यह पहल सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि बेटियों के जीवन की दिशा बदलने वाली क्रांति है। कई ग्रामीण परिवारों में अब लड़कियों को भी वही महत्व मिल रहा है जो पहले सिर्फ लड़कों को मिलता था। “पहले सोचा नहीं था कि मेरी बेटी अफसर बनेगी,” एक माता-पिता ने कहा, “लेकिन अब यह सपना साकार हो गया है।
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