मध्यप्रदेश में जब बात होती है तरक्की की तो नज़रे अक्सर बड़े शहरों पर टिक जाती हैं लेकिन अब कहानी बदल रही है। राज्य सरकार न केवल महानगरों को विकसित कर रही है बल्कि छोटे और मझोले शहरों और यहां तक कि ग्राम पंचायतों का भी नक्शा बदलने को तैयार है। शिवपुरी इसका ताज़ा उदाहरण है जहां 15 पंचायतों को मिलाकर नगर निगम का दर्जा देने की तैयारियां ज़ोरों पर हैं।
शिवपुरी का कायाकल्प 15 पंचायतें होंगी शामिल
शिवपुरी जिला मुख्यालय के लिए यह कदम एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। दो बार निरस्त हो चुके प्रस्ताव के बाद, अब तीसरी बार एक संशोधित प्रस्ताव भोपाल स्थित नगरीय निकाय विभाग को भेजा गया है। इस बार इसमें 15 पंचायतों को भी शामिल किया गया है जिससे इस फैसले की अहमियत और बढ़ जाती है।
जानिए क्या होंगे बदलाव
वर्तमान में शिवपुरी नगर पालिका में 39 वार्ड हैं, लेकिन नगर निगम बनते ही इनकी संख्या बढ़कर 50 के करीब हो जाएगी। अभी जहां नगर पालिका अध्यक्ष और सीएमओ जैसे पद हैं वहीं नगर निगम बनने पर महापौर और आयुक्त (Commissioner) जैसे ज़िम्मेदार पद शामिल होंगे।
बजट की बात करें तो, जहां नगर पालिका का सालाना बजट करोड़ों में होता है वहीं नगर निगम बनते ही यह बजट अरबों में पहुंच सकता है। इसका सीधा लाभ जुड़े हुए पंचायतों को भी मिलेगा वहां भी आधारभूत संरचना में तेज़ी से सुधार की संभावना है।
कौन-कौन सी पंचायतें होंगी शामिल
नई योजना में एक बड़ा बदलाव ये किया गया है कि झांसी रोड स्थित वन ग्रामों को बाहर रखा गया है। इससे यह स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि प्रशासन इस प्रस्ताव को यथासंभव व्यावहारिक और स्वीकार्य बनाना चाहता है। संशोधित प्रस्ताव 6 मई को भोपाल भेजा गया था। इसमें जिन 15 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया है वे हैं।
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चंदनपुरा, सिंहनिवास, नोहरीकलां, ठर्रा, दर्रोनी, ईटमा, पिपरसमा, रायश्री, सतेरिया, बांसखेड़ी,बड़ागांव, रातौर, पड़ोरा सडक़, सेंसई सडक़, और वेंहटा। इनमें से कुछ ग्राम पंचायतों में मंझोले दर्जे की बस्तियां भी शामिल हैं।
आबादी और क्षेत्रफल में बड़ा विस्तार
अभी शिवपुरी नगर पालिका का क्षेत्रफल 86 वर्ग किलोमीटर है। प्रस्ताव के अनुसार, नगर निगम बनते ही यह क्षेत्र बढ़कर 241 वर्ग किलोमीटर हो जाएगा। प्रस्ताव में बताया गया है कि जो ग्राम पंचायतें जोड़ी जा रही हैं, वे शहर से 7 से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। इसके साथ ही नगर निगम क्षेत्र की आबादी 3 लाख से अधिक हो चुकी है, जो कि किसी भी नगर निगम के लिए एक उपयुक्त मानक है।
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शिवपुरी के लिए यह प्रस्ताव महज़ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि विकास की नई इबारत लिखने का अवसर है। यदि यह प्रस्ताव कैबिनेट से पारित होता है, तो आने वाले वर्षों में शिवपुरी न केवल नक्शे पर बड़ा दिखेगा, बल्कि ज़मीनी स्तर पर भी इसका असर हर गली-मोहल्ले में महसूस किया जाएगा।