MP News: मध्य प्रदेश में अब गांव भी डिजिटल इंडिया की रफ्तार से जुड़ने जा रहे हैं। सरकार ने राज्य की 18,011 पंचायतों को पूरी तरह ऑनलाइन करने की तैयारी कर ली है। जहां एक तरफ विकास की रफ्तार तेज होगी, वहीं दूसरी ओर काम में देरी या लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों पर सीधे कार्रवाई की तलवार लटकने वाली है।
लेकिन ये सिर्फ इंटरनेट की बात नहीं है, ये एक सोच में बदलाव है, एक ऐसा बदलाव जो गांवों को भविष्य के भारत से जोड़ेगा।
देखें कौन-कौन सी पंचायतें होंगी डिजिटल और कैसे
मध्य प्रदेश की लगभग 5,000 पंचायतें पहले से ही नेट कनेक्टिविटी से जुड़ी हैं। अब शेष 13,000 से ज्यादा पंचायतों में भी हाईस्पीड ब्रॉडबैंड पहुंचाया जाएगा।
इसका सारा काम भारतनेट प्रोजेक्ट के तहत BSNL को सौंपा गया है। हर पंचायत परिसर में कम से कम 2 वर्गमीटर जगह दी जाएगी, जहां तकनीकी सेटअप होगा।
सिर्फ इंटरनेट नहीं, बदलाव की शुरुआत है ये
ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी का मतलब सिर्फ YouTube देखना या फॉर्म भरना नहीं है, इससे गांवों को मिलेंगे ये फायदे:-
ई-गवर्नेंस के ज़रिए हर काम पारदर्शी और तेज़।
ऑनलाइन शिक्षा से गांव के बच्चे भी पाएंगे बराबरी का अवसर।
टेलीमेडिसिन के ज़रिए डॉक्टर अब गांव के दरवाजे पर।
ई-कॉमर्स और लोकल बिज़नेस को मिलेगा डिजिटल प्लेटफॉर्म।
गांव के युवा बन सकेंगे नए जमाने के उद्यमी।
अधिकारी लापरवाह हुए तो सीधी कार्रवाई
मध्य प्रदेश सरकार ने साफ कहा है कि अगर कोई पंचायत सचिव, अधिकारी, जनपद कर्मी या इंस्पेक्टर जानबूझकर डिजिटल प्रक्रिया में बाधा डालेगा तो सीधी कार्रवाई की जाएगी। यह कदम सिर्फ सिस्टम को सुधारने का नहीं, बल्कि गांवों की आवाज़ को ताकत देने का है।
तीन महीने में एक बार होगी सख्त समीक्षा
इस पूरे मिशन की हर तीन महीने में समीक्षा खुद मुख्य सचिव अनुराग जैन की अध्यक्षता में होगी।
इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई है, जिसमें पंचायत, ग्रामीण विकास, ऊर्जा, वन, विज्ञान और तकनीकी विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। BSNL के मुख्य महाप्रबंधक को इस समिति का सचिव बनाया गया है।
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मध्य प्रदेश में गांवों के लोग लंबे समय से सरकारी सेवाओं की धीमी रफ्तार और भेदभाव से परेशान रहे हैं। अब जब हर पंचायत ऑनलाइन होगी, तो रजिस्ट्रेशन, प्रमाणपत्र, योजनाओं का लाभ सब कुछ घर बैठे मिलने की उम्मीद जगी है। गांव का युवा अब शहर जाकर नौकरी ढूंढ़ने के बजाय ऑनलाइन काम करने की सोच रहा है।
इसके साथ ही महिलाएं भी डिजिटल साक्षरता और स्किल्स से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ सकती हैं। ये केवल एक योजना नहीं, बल्कि गांवों को सशक्त करने की क्रांति है।
अब वक्त आ गया है कि हम सिर्फ शहरों को ही नहीं, गांवों को भी डिजिटल रूप से आत्मनिर्भर बनाएं। MP सरकार का यह कदम एक मजबूत नींव है। जहां हर ग्रामीण नागरिक भी कह सके, “अब हम भी कनेक्टेड हैं!”
आपका क्या कहना है इस बदलाव पर? क्या आपके गांव में इंटरनेट आ चुका है? नीचे अपनी राय ज़रूर बताएं।
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