MP News: मध्य प्रदेश सरकार ने किरायेदार और मकान मालिकों के बीच के विवादों को खत्म करने के लिए नया किरायेदारी अधिनियम लागू करने का निर्णय लिया है। इस कानून के तहत अनुबंध की अवधि पूरी होने पर किरायेदार को मकान खाली करना अनिवार्य होगा। साथ ही, मकान मालिक भी बिना सूचना के किरायेदार को परेशान नहीं कर सकेगा। आइए जानते हैं इस नए कानून के प्रमुख प्रावधान।
देखें क्या हैं नया किरायेदारी अधिनियम
मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र के मॉडल टेनेंसी एक्ट के आधार पर राज्य का नया किरायेदारी अधिनियम तैयार किया है। इस अधिनियम का उद्देश्य मकान मालिक और किराएदार दोनों के अधिकारों की रक्षा करना और किरायेदारी संबंधी विवादों को कम करना है।
किरायेदार के लिए सख्त नियम
नए कानून के अनुसार, किरायेदार को अनुबंध की अवधि पूरी होने पर मकान खाली करना अनिवार्य होगा। यदि वह ऐसा नहीं करता, तो मकान मालिक किराया प्राधिकारी से शिकायत कर सकता है, जिसके बाद बेदखली की कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अनुबंध समाप्त होने के बाद भी यदि किरायेदार मकान खाली नहीं करता, तो उसे पहले दो माह तक दोगुना और उसके बाद चार गुना किराया देना होगा।
मकान मालिक के लिए भी बनाए गए हैं नियम
नए कानून के तहत मकान मालिक भी किरायेदार को बेवजह तंग नहीं कर सकेगा। यदि मकान की मरम्मत या निरीक्षण के लिए प्रवेश करना है, तो उसे 24 घंटे पहले सूचना देनी होगी। साथ ही वह जल, विद्युत, पाइप गैस, लिफ्ट, सीढ़ी की रोशनी, पार्किंग, स्वच्छता और सुरक्षा जैसी आवश्यक सेवाओं को बाधित नहीं करेगा। बिना अनुमति के किरायेदार के परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
किरायेदार की मृत्यु के बाद उत्तराधिकारी को अधिकार
यदि किरायेदार की मृत्यु हो जाती है, तो उसके उत्तराधिकारी को किराए पर रहने का अधिकार होगा, लेकिन उन्हें भी अनुबंध के सभी नियमों का पालन करना होगा।
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प्रत्येक जिले में किराया अधिकरण होगा
विधेयक के अनुसार, मध्य प्रदेश के हर जिले में किराया अधिकरण स्थापित किया जाएगा। डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारी को किराया प्राधिकारी बनाया जाएगा, जबकि किराया न्यायालय अतिरिक्त कलेक्टर की कोर्ट होगी। किसी भी शिकायत का 60 दिनों के भीतर निपटारा करना अनिवार्य होगा। आदेश का पालन न करने पर स्थानीय निकाय या पुलिस की सहायता से कब्जा दिलाया जा सकेगा और कुर्की जैसी कार्रवाई भी संभव होगी।
मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम किरायेदारी संबंधी विवादों को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इससे न केवल मकान मालिकों को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि किरायेदार के अधिकारों की भी रक्षा होगी। हालांकि, इस कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जागरूकता और पारदर्शिता आवश्यक होगी।
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