NEET PG 2025 के हजारों अभ्यर्थी अब सिर्फ एक बात चाहते हैं। और वो है की एक ही शिफ्ट में परीक्षा हो। और दो शिफ्ट में होने वाली परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है और कोर्ट ने इसपर जल्द सुनवाई का आश्वासन दिया है। जैसे-जैसे 15 जून की परीक्षा की तारीख नजदीक आ रही है, छात्रों की बेचैनी भी बढ़ती जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा NEET PG का ‘दो शिफ्ट’ विवाद
NEET PG 2025 को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (NBE) ने इस बार परीक्षा को दो शिफ्टों में कराने का फैसला किया है। लेकिन छात्रों को लगता है कि इससे सभी को समान अवसर नहीं मिलेगा। इस फैसले को चुनौती देते हुए “अदिति और अन्य” छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने इस याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति दी है।
देखें क्यों उठी “एक शिफ्ट” की मांग?
याचिकाकर्ताओं का साफ कहना है कि परीक्षा दो अलग-अलग शिफ्टों में होगी, तो हर शिफ्ट का पेपर अलग होगा और उसके कठिनाई स्तर में अंतर आ सकता है। ऐसे में “लेवल प्लेइंग फील्ड” यानी समानता नहीं रह पाएगी। क्योंकि दो अलग-अलग शिफ्टों में अलग अलग प्रश्न पत्र रहेंगे जिसमे अलग अलग सवाल रहेंगे और इसी बात से समानता हट जाएगी क्योंकि हो सकता है की पहली शिफ्ट में आसान सवाल हो और दूसरी शिफ्ट में कठिन यही कारन है की एक शिफ्ट में पेपर होने की मांग राखी गई।
छात्रों का तर्क है कि NEET PG जैसी प्रतियोगी परीक्षा में सभी को एक जैसा पेपर मिलना चाहिए, ताकि कोई भी उम्मीदवार सिर्फ शिफ्ट की वजह से नुकसान में न जाए।
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कोर्ट पहले भी उठा चुका है सवाल
यह पहली बार नहीं है जब इस मुद्दे पर कोर्ट का ध्यान गया हो। 5 मई को सुप्रीम कोर्ट ने NBE, NMC और स्वास्थ्य मंत्रालय से इस याचिका पर जवाब मांगा था। साथ ही कोर्ट ने नीट पीजी काउंसलिंग में सीट ब्लॉकिंग को लेकर भी कई कड़े निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि परीक्षा के raw scores, answer keys और normalization formula को सार्वजनिक किया जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
वकीलों ने जताई जल्द सुनवाई की जरूरत
याचिकाकर्ता पक्ष के वकील ने कोर्ट को बताया कि इस याचिका को 23 मई को सूचीबद्ध किया जाना था, लेकिन किसी कारणवश नहीं हो सका। अब चूंकि 2 जून को एडमिट कार्ड जारी होने हैं, इसलिए उन्होंने आग्रह किया कि इस हफ्ते ही सुनवाई होनी चाहिए। कोर्ट ने इस तर्क पर सहमति जताते हुए कहा है कि वह मामले की गंभीरता को समझते हैं और जल्द ही इस पर सुनवाई करेंगे।
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छात्रों की राय: “न्याय तभी जब पेपर सबके लिए एक जैसा हो”
हमने सोशल मीडिया और मेडिकल छात्र समुदाय से बातचीत की तो ज़्यादातर छात्र एक ही बात पर अड़े हुए दिखे — “अगर सीटें समान हैं, तो पेपर भी समान होना चाहिए।” प्रियांशु मिश्रा, एक मेडिकल स्नातक, कहते हैं, “दो शिफ्ट का मतलब दो पेपर, और दो पेपर का मतलब दो स्तर। फिर सबके लिए समान अवसर कहां रहा?”
मुझे भी लगता है कि इतने अहम और भविष्य-निर्धारक एग्ज़ाम में हर उम्मीदवार को बराबरी मिलनी चाहिए। अगर पेपर अलग हैं, तो normalization पर भरोसा करना छात्रों के लिए भारी पड़ सकता है। NEET PG 2025 से जुड़ी हर छोटी-बड़ी अपडेट, कोर्ट के फैसले और छात्रों की आवाज़ को हम लगातार कवर करते रहेंगे। ऐसी ही खबरों के लिए जुड़े रहें atmarammahavidyalaya.com के साथ, और अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर बताएं।
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