MP News: मध्य प्रदेश के कलेक्टर संदीप जीआर ने पटवारियों के लिए बड़ा निर्देश जारी किया है। अब हर पटवारी को साल में दो बार सरकारी पट्टे की जमीनों का निरीक्षण करना होगा। यह फैसला बढ़ती जनशिकायतों के मद्देनजर लिया गया है, जिससे जमीन कब्जों पर रोक लग सके। क्या ये नियम बदलेगा ज़मीनी हालात?
पटवारियों की होगी 2 ज़मीनी परीक्षा
जनसुनवाई के दौरान कलेक्टर को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि अनुसूचित जाति, जनजाति और गरीब किसानों को दिए गए शासकीय पट्टे की जमीनों पर बाहरी लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है। ये जमीनें सरकार द्वारा जीवन यापन के लिए दी गई थीं, लेकिन उनका लाभ असली पात्रों को नहीं मिल पा रहा था। इसी वजह से प्रशासन अब सख्त हुआ है।
क्या करना होगा पटवारियों को?
कलेक्टर के निर्देश अनुसार, सभी पटवारी अब साल में दो बार जिसमे सबसे पहले एक बार बुवाई के समय और दूसरी बार कटाई के समय शासकीय पट्टेदारों की भूमि का मौका मुआयना करेंगे। उन्हें यह देखना होगा कि जमीन पर खेती वही व्यक्ति कर रहा है, जिसे पट्टा दिया गया है। यदि मौके पर कोई और कब्जा करता पाया गया, तो तत्काल पंचनामा बनाकर तहसीलदार/नायब तहसीलदार को रिपोर्ट सौंपनी होगी।
देखें क्या है प्रशासन की जिम्मेदारी
कलेक्टर ने साफ कहा है कि शासकीय जमीनों पर असली पट्टेदारों का कब्जा सुनिश्चित करना राजस्व अधिकारियों की जिम्मेदारी है। अगर इसके बावजूद अवैध कब्जे की शिकायतें आती हैं, तो यह प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है। इसी वजह से उन्होंने सभी SDO, तहसीलदार और पटवारियों को सख्त निर्देश दिए हैं।
पट्टों की असलियत और ज़मीनी हकीकत
शासकीय पट्टे अक्सर समाज के सबसे पिछड़े और ज़रूरतमंद वर्ग को दिए जाते हैं, ताकि वे खेती करके जीवन यापन कर सकें। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावशाली लोग इन जमीनों पर कब्जा कर लेते हैं और असली लाभार्थी बेबस रह जाते हैं। इस आदेश से उम्मीद है कि अब हर साल नियमित निगरानी से अवैध कब्जे रुकेगा और गरीबों को उनका हक मिलेगा।
कई लोग इस कदम को सराहनीय मान रहे हैं। उनका कहना है कि अगर निगरानी नियमित और निष्पक्ष हो, तो इससे कई भूमिहीन किसानों को राहत मिलेगी। दूसरी ओर, कुछ लोगों को डर है कि यदि पटवारी खुद पक्षपात करें या दबाव में आएं, तो यह नियम भी कागजों तक ही सीमित रह जाएगा। मेरे हिसाब से, अगर इस व्यवस्था की निगरानी उच्च अधिकारियों द्वारा समय-समय पर की जाए, तो यह ग्रामीण न्याय और पारदर्शिता की दिशा में एक मजबूत कदम हो सकता है।
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क्या ये नई व्यवस्था वास्तव में शासकीय पट्टेदारों को उनका हक दिला पाएगी? आपकी नजर में क्या इससे अवैध कब्जों पर लगाम लगेगी? ऐसी ही खबरों के लिए जुड़े रहें, और अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।