मध्य प्रदेश में मूंग की खेती कर चुके किसानों में इस समय भारी नाराज़गी है। कारण है – सरकार द्वारा अभी तक मूंग की समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी शुरू न करना। इस मुद्दे को लेकर भाजपा किसान मोर्चा, किसान संघ और स्थानीय कृषि संगठनों ने मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है और नीति सुधार की मांग की है।
मूंग खरीदी न होने से किसान परेशान
मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था और मूंग का समर्थन मूल्य भी घोषित किया गया था। इसके बाद जिले के किसानों ने बड़े पैमाने पर मूंग की खेती की।
लेकिन अब जब फसल तैयार है, तो MSP पर खरीदी की प्रक्रिया शुरू ही नहीं हुई, जिससे किसानों को बाज़ार में औने-पौने दाम मिल रहे हैं।
भाजपा किसान मोर्चा ने खोला मोर्चा
भाजपा किसान मोर्चा के महामंत्री शिवकुमार सनोदिया, जिला उपाध्यक्ष निरंजन मिश्रा, किसान संघ के अध्यक्ष ज्वाला सिंह बघेल, तेज लाल पटेल और मनमोहन बिसेन ने मिलकर सिवनी और बालाघाट के सांसदों व विधायकों को भी ज्ञापन सौंपा है।
ज्ञापन में उन्होंने कहा कि:
सरकार को तत्काल मूंग खरीदी नीति में बदलाव लाना चाहिए
खरीद प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए
किसानों को MSP की गारंटी मिले
स्थानीय मंडियों में खरीद केन्द्र शीघ्र चालू किए जाएं
किसानों का कहना सरकार का रवैया समझ के परे
किसानों का कहना है कि सरकार ने जिस फसल के लिए समर्थन मूल्य घोषित किया, उसकी खरीदी न करना न केवल धोखा है, बल्कि किसानों के साथ अन्याय है।
एक किसान ने कहा, “हमने भरोसा करके मूंग बोई, अब जब फसल मंडी में लाए तो कोई खरीदार ही नहीं। ये तो किसानों की मेहनत का मज़ाक है।”
आर्थिक अनिश्चितता और मंडी में संकट
किसानों को मंडियों में MSP से कम दाम मिल रहे हैं, जिससे उनकी लागत भी नहीं निकल रही। इस कारण कई किसान मूंग की फसल को स्टोर तक नहीं कर पा रहे और सस्ते में बेचने पर मजबूर हैं।
इस स्थिति को लेकर कृषि संगठनों ने सरकार को चेताया है कि यदि जल्द निर्णय नहीं लिया गया तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा।
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देखें किसानों की मांगें क्या हैं
- MSP पर तात्कालिक खरीदी शुरू की जाए
- हर जिले में खरीद केन्द्र खोले जाएं
- खरीदी नीति में पारदर्शिता और स्पष्टता लाई जाए
- किसानों की आय सुनिश्चित करने के लिए स्थाई व्यवस्था बने
नीति सुधार ही एकमात्र रास्ता
ज्ञापन सौंपने वालों का कहना है कि यदि सरकार वाकई में किसानों के साथ है तो उसे नीतियों में सुधार कर स्थाई समाधान निकालना होगा। किसान संगठन इसे सकारात्मक पहल मानते हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार शीघ्र इस पर ठोस कदम उठाएगी।
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