MP News: मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को एक झटका देते हुए राज्य सरकार ने विभाग के 35 श्रेणियों के कुल 4558 पदों को “डाइंग कैडर” में डालने का फैसला किया है। इसका मतलब साफ है — जैसे-जैसे कर्मचारी रिटायर होते जाएंगे, वे पद खुद-ब-खुद खत्म होते जाएंगे। इससे सैकड़ों कर्मचारियों की प्रमोशन की उम्मीदें टूट गई हैं, जो वर्षों से वरिष्ठ पद की प्रतीक्षा में थे।
देखें क्या है डाइंग कैडर
“डाइंग कैडर” यानी ऐसे पद जो धीरे-धीरे खत्म किए जा रहे हैं। जैसे ही कोई कर्मचारी उस पद से रिटायर होता है, उस पद की रिक्ति नहीं भरी जाती बल्कि उसे स्थायी रूप से हटा दिया जाता है।
इस नीति से सबसे ज़्यादा नुकसान उन 2,500 मल्टीपर्पज हेल्थ वर्कर्स (MPHW) को हो रहा है जो सुपरवाइजर पद पर प्रमोशन के इंतजार में थे। अकेले पुरुष सुपरवाइजर के 1483 पद खत्म किए जा रहे हैं। इसके अलावा ड्रेसर ग्रेड-1 और ग्रेड-2 के 2,000 से ज्यादा पद भी इसी लिस्ट में हैं।
डाटा ब्रीफ: खत्म किए जा रहे ये सभी पद
पद नाम | संख्या |
---|---|
पुरुष सुपरवाइजर | 1483 |
ड्रेसर ग्रेड-2 | 1059 |
ड्रेसर ग्रेड-1 | 1031 |
स्वास्थ्य शिक्षक | 83 |
OT असिस्टेंट | 26 |
TB हेल्थ विजीटर ग्रेड-1 | 40 |
वरिष्ठ सहायक चिकित्सक | 10 |
पुराना आदेश लेकिन नई मुश्किलें
इस संबंध में आदेश जुलाई 2023 में जारी किया गया था, लेकिन तब इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। अब जब कर्मचारियों की रिटायरमेंट की प्रक्रिया शुरू हुई, तब इसका असर जमीनी स्तर पर दिखने लगा है।
अब तक 50 से अधिक कर्मचारी ऐसे पदों से रिटायर हो चुके हैं, जिन्हें रिटायरमेंट से पहले प्रमोशन मिलना चाहिए था — पर अब उनकी पूरी सर्विस एक ही पद पर बीत गई।
कर्मचारी संगठन ने दी चेतावनी
स्वास्थ्य कर्मचारी संगठनों ने सरकार के इस कदम का विरोध शुरू कर दिया है। संगठनों का कहना है कि यह फैसला न केवल कर्मचारियों की प्रोफेशनल ग्रोथ पर ब्रेक है, बल्कि यह मानव संसाधन का नुकसान भी है। अगर सरकार पद खत्म करना ही चाहती है, तो कम से कम जो कर्मचारी वर्षों से सेवा दे रहे हैं, उन्हें पदोन्नति देकर सम्मानजनक विदाई दी जाए।
इस विषय में लोक प्रशासन के विशेषज्ञ मानते हैं कि पदों को खत्म करने का तर्क अगर “संरचना के पुनर्गठन” या “खर्च घटाने” के लिए है, तो इसका विकल्प होना चाहिए। उदाहरण के लिए, पदोन्नति देकर कर्मचारियों को नई जिम्मेदारियों के साथ समायोजित किया जा सकता है इससे न सिर्फ कर्मचारी संतुष्ट होंगे बल्कि सेवा वितरण की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।
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सरकार का अगला रुख हो सकता है ये
फिलहाल सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन कर्मचारी संगठनों के बढ़ते दबाव को देखते हुए संभावना है कि इस आदेश पर पुनर्विचार हो सकता है। कर्मचारियों की मांग है कि डाइंग कैडर की नीति के साथ वैकल्पिक प्रमोशन मॉडल लागू किया जाए।
MP सरकार का यह फैसला प्रशासनिक दृष्टि से भले तर्कसंगत हो, लेकिन इससे हज़ारों कर्मचारियों का मनोबल टूट गया है। सरकार को चाहिए कि वह अपने निर्णय पर पुनर्विचार कर, कर्मचारियों के हितों और संगठनात्मक जरूरतों के बीच संतुलन बनाए।
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