MP News: मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित माधव टाइगर रिजर्व के इको-सेंसिटिव ज़ोन को लेकर प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। तीन तहसीलों शिवपुरी, करेरा और नरवर के 64 गांव इस प्रक्रिया से प्रभावित होंगे। इन गांवों को इधर से उधर करने की तैयारी चल रही है ताकि वन्यजीवों और स्थानीय आबादी के बीच संतुलन बनाए रखा जा सके।
इस कदम से इन इलाकों की जीवनशैली में बड़ा बदलाव आ सकता है। गांवों की संस्कृति, रहन-सहन और रोजगार पर भी इसका असर होगा। प्रशासन कोशिश कर रहा है कि विस्थापन कम से कम हो, लेकिन सुरक्षा और पर्यावरण संतुलन के लिए कुछ सख्त फैसले लिए जा रहे हैं।
माधव टाइगर रिजर्व और इको-सेंसिटिव ज़ोन की सीमाएं
375 वर्ग किलोमीटर में फैले माधव टाइगर रिजर्व के चारों ओर का इलाका इको-सेंसिटिव ज़ोन के दायरे में आता है। शहरी क्षेत्रों से 100 मीटर और ग्रामीण क्षेत्रों से दो किलोमीटर तक का दायरा इस ज़ोन में शामिल है। यही वजह है कि आसपास के 64 गांवों पर असर पड़ रहा है।
इस क्षेत्र में निर्माण कार्य, भारी उद्योग, खनन, क्रशर, ईंट भट्टे और प्रदूषण फैलाने वाली अन्य गतिविधियां प्रतिबंधित होंगी। यह कानून वन्यजीवों की सुरक्षा और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए लागू किया गया है।
प्रशासनिक बैठक में लिए गए निर्णय
कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में पटवारी और अन्य विभागीय अधिकारियों को 64 गांवों की स्थिति की जांच कर तीन दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है। इसका उद्देश्य यह समझना है कि किन गांवों पर सबसे ज्यादा असर होगा और किस तरह के समाधान निकाले जा सकते हैं।
कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि इको-सेंसिटिव ज़ोन से लोगों को जबरन विस्थापित नहीं किया जाएगा, बल्कि उन्हें विकल्प और समय दिया जाएगा। बैठक में यह भी तय हुआ कि फिलहाल केवल खतरनाक या प्रतिबंधित गतिविधियों पर रोक लगाई जाएगी।
गांवों की बढ़ी चिंता
इन गांवों में रहने वाले लोगों के मन में कई सवाल हैं — क्या उन्हें अपनी ज़मीन छोड़नी पड़ेगी? रोजगार का क्या होगा? बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य सेवाएं और सामाजिक जीवन किस तरह प्रभावित होगा?
हालांकि प्रशासन का कहना है कि विस्थापन अंतिम विकल्प होगा, फिर भी ग्रामीणों में असमंजस और चिंता बनी हुई है। जो लोग पीढ़ियों से इन गांवों में रह रहे हैं, उनके लिए यह बदलाव भावनात्मक रूप से भी चुनौतीपूर्ण है।
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वन्यजीवों और पर्यावरण के लिए क्यों जरूरी है यह कदम
माधव टाइगर रिजर्व में कई दुर्लभ प्रजातियों के वन्यजीव पाए जाते हैं। इनके सुरक्षित आवागमन और प्रजनन के लिए शांत और प्रदूषण-मुक्त वातावरण जरूरी है। इको-सेंसिटिव ज़ोन का उद्देश्य यही है कि मानव गतिविधियों को नियंत्रित कर जंगल की जैव विविधता को बचाया जा सके। यह केवल वन्यजीवों के लिए ही नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी एक ज़रूरी कदम है।
शिवपुरी में 64 गांवों के इधर-उधर होने की प्रक्रिया कोई छोटा फैसला नहीं है। यह प्रशासन, ग्रामीणों और पर्यावरण — तीनों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश है। आने वाले दिनों में सर्वे रिपोर्ट और स्थानीय सहभागिता तय करेगी कि यह परिवर्तन कितना सफल और स्वीकार्य होगा। ग्रामीणों की भावनाएं, अधिकार और भविष्य इन फैसलों से सीधे तौर पर जुड़े हैं और यही इस खबर को बेहद मानवीय और महत्वपूर्ण बनाता है।
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