मध्य प्रदेश के लाखों सरकारी कर्मचारियों को सरकार ने एक साथ तीन बड़ी राहतें दी हैं। अब तबादले की आखिरी तारीख 10 जून तक बढ़ा दी गई है, इलाज के लिए 80 फीसदी खर्च एडवांस मिलेगा और नए भर्ती कर्मचारियों को पहले दिन से पूरी तनख्वाह दी जाएगी। इन फैसलों से साफ है कि मध्य प्रदेश की मोहन सरकार इस बार वाकई में कर्मचारियों को सुकून देना चाहती है।
तबादला नीति 2025
पहले तबादलों की आखिरी तारीख 30 मई तय की गई थी, लेकिन अब इसे 10 जून तक बढ़ा दिया गया है। कारण साफ है हजारों कर्मचारी तबादले के लिए आवेदन कर चुके हैं और प्रशासन के पास उन सबको निपटाने का वक्त नहीं था। ऊपर से प्रधानमंत्री मोदी का इंदौर दौरा और कैबिनेट बैठक की वजह से कामकाज भी प्रभावित हुआ। खुद मुख्यमंत्री मोहन यादव जी ने संकेत दे दिए हैं कि कर्मचारियों की समस्याओं को प्राथमिकता दी जा रही है।
इलाज का खर्च अब खुद नहीं उठाना पड़ेगा
सरकारी नौकरी करने वालों के लिए ये शायद सबसे बड़ी राहत है की अब इलाज के लिए जेब से पैसे देने की जरूरत नहीं होगी। सरकार ने 80% तक एडवांस भुगतान की मंजूरी दे दी है। यानी अगर परिवार में किसी की तबीयत बिगड़ती है, तो फौरन मदद मिल सकेगी।
पहले क्या होता था? कर्मचारी पहले अपनी जेब से पैसा लगाता था, फिर बिल लगाता था, फिर महीनों तक फाइलें घूमती थीं और कई बार तो फाइल वापस भी आ जाती थी। इस चक्कर में कई बार लोग इलाज का खर्च ही नहीं उठा पाते थे। लेकिन अब सीधे विभागाध्यक्ष एडवांस जारी कर सकेंगे बिना देरी, बिना झंझट।
नए कर्मचारियों को अब आधी नहीं, पूरी सैलरी
अब तक नए सरकारी कर्मचारियों को पहले साल सिर्फ 70% सैलरी मिलती थी। फिर दूसरे साल 80% और तीसरे साल जाकर 90% तक तनख्वाह मिलती थी। सोचिए, एक तरफ नौकरी लगी है और दूसरी तरफ घर चलाने के लिए पूरा पैसा ही नहीं मिलता। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि अब पहले दिन से ही पूरा वेतन और भत्ते दिए जाएंगे। इस फैसले से नई भर्ती वाले लाखों युवाओं को सीधा फायदा मिलेगा और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
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सरकार ने दिलाया भरोसा
करीब दो लाख कर्मचारी अभी तबादला चाहते हैं, लेकिन फिलहाल सिर्फ 1% केस ही पूरे हो पाए हैं। ऐसे में ये फैसला बेहद जरूरी था। सामान्य प्रशासन विभाग का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी, तो तबादलों की तारीख और आगे भी बढ़ाई जा सकती है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव जी ने कहा है कि कर्मचारियों की हर वाजिब मांग सुनी जाएगी और किसी के साथ पक्षपात नहीं किया जाएगा। कर्मचारियों की संतुष्टि से ही सरकार की नींव मजबूत होती है, और अब लगता है कि सरकार इस बात को गंभीरता से समझ रही है।
कर्मचारियों की तकलीफ तब ही दूर होती है जब सरकार नीयत के साथ काम करे। इस बार जो फैसले हुए हैं, वे कागजों तक सीमित नहीं लगते। इलाज के एडवांस, सैलरी में सुधार और तबादले में लचीलापन, ये सब दिखाता है कि बात सिर्फ वोट बैंक की नहीं, इंसानियत की भी हो रही है।
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ऐसे में ये उम्मीद करना गलत नहीं होगा कि आगे भी इसी तरह के फैसले आते रहेंगे — क्योंकि जब सरकार कर्मचारियों को सुनेगी, तभी कर्मचारी भी अपना दिल लगाकर काम करेंगे।
अगर आप भी सरकारी कर्मचारी हैं या किसी को जानते हैं जो इन बदलावों से प्रभावित हो सकता है, तो ये खबर उनके साथ ज़रूर साझा करें। ऐसी ही खबरों के लिए जुड़े रहें, और अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।