मध्य प्रदेश में चल रही तबादला राजनीति के बीच एक बड़ी और राहतभरी खबर सामने आई है। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने ऐलान किया है कि अब आउटसोर्स कर्मचारियों को 100 किलोमीटर दूर नहीं भेजा जाएगा। हजारों कर्मचारियों के लिए यह फैसला उम्मीद की किरण बनकर आया है।
तबादलों को लेकर मचा बवाल
हाल के दिनों में म ध्यप्रदेश में अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों को लेकर भारी विवाद देखने को मिला है। कहीं प्रभारी मंत्री और स्थानीय विधायकों के बीच खींचतान तो कहीं कर्मचारियों की आँखों में आँसू। खासकर आउटसोर्स कर्मचारियों को मामूली वेतन में सैकड़ों किलोमीटर दूर भेज दिया जा रहा था, जिससे परिवार से दूरी और आर्थिक बोझ दोनों बढ़ते जा रहे थे।
ऊर्जा प्रद्युम्न सिंह तोमर का स्पष्ट बयान
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने इस संवेदनशील मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए स्पष्ट कर दिया कि अब आउटसोर्स कर्मचारियों का ट्रांसफर अधिकतम 5 से 8 किलोमीटर के दायरे में ही किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जिन कर्मचारियों को पहले से 100 किमी दूर ट्रांसफर किया गया है, उनके मामलों की जांच की जाएगी और जरूरी सुधार किए जाएंगे।
33 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को राहत की उम्मीद
प्रदेश में बिजली विभाग के अंतर्गत कार्यरत करीब 33,000 आउटसोर्स कर्मचारी इस निर्णय से सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। ये कर्मचारी विद्युत वितरण, उत्पादन और ट्रांसमिशन कंपनियों में कार्यरत हैं। पहले इन्हें मामूली वेतन में दूरदराज के इलाकों में ट्रांसफर कर दिया जाता था, जिससे नौकरी और परिवार दोनों के बीच संतुलन बिगड़ रहा था।
मुरैना से शुरू हुआ विरोध पूरे प्रदेश में गूंजी आवाज
मुरैना जिले के कुछ कर्मचारियों ने 100 किलोमीटर दूर ट्रांसफर होने की शिकायत की थी। उनकी व्यथा ने पूरे प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारियों को आवाज दी। मंत्री तोमर ने उनकी बात सुनी और उसी दिन स्पष्ट कर दिया — अब कोई भी आउटसोर्स कर्मचारी इतनी दूरी पर नहीं भेजा जाएगा।
विभागीय जांच और अधिकारियों को चेतावनी
ऊर्जा मंत्री ने अधिकारियों को साफ निर्देश दिए हैं कि वे किसी भी कर्मचारी को अनुचित दूरी पर ट्रांसफर न करें। साथ ही विभागीय जांच शुरू कर दी गई है ताकि यह पता चल सके कि किन कारणों से कर्मचारियों को इतनी दूर भेजा गया था। मंत्री ने भरोसा दिलाया कि अब इस तरह की गलती दोहराई नहीं जाएगी।
यह भी पढ़ें – MP News: मध्य प्रदेश में बनेगा पहला 6-लेन केबल स्टे ब्रिज, जो तीन राज्यों को जोड़ेगा
लोगों का कहना है कि यह फैसला मानवता के पक्ष में है। एक व्यक्ति जो ₹10,000–₹12,000 महीने की नौकरी करता है, अगर उसे 100 किलोमीटर दूर ट्रांसफर कर दिया जाए तो वह न घर चला पाता है, न खुद को संभाल पाता है। सोशल मीडिया पर भी इस निर्णय की काफी सराहना हो रही है। सरकार से यह उम्मीद है कि अब अन्य विभागों में भी ऐसी ही मानवीय नीतियाँ अपनाई जाएंगी।
ऐसी ही खबरों के लिए जुड़े रहें, और अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं। क्या आपको लगता है कि यह फैसला सभी राज्यों में लागू होना चाहिए? नीचे अपनी राय जरूर शेयर करें।
यह भी पढ़ें – CM मोहन यादव ने किया ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान का शुभारंभ, पर्यावरण दिवस पर उठाया बड़ा कदम