जिन कंधों पर देश की सुरक्षा का भार रहता है, अब उन्हें रिटायरमेंट के दिन मिलेगा एक और पद का सम्मान। केंद्र सरकार ने अर्द्धसैनिक बलों के जवानों के लिए एक भावनात्मक और प्रेरणादायक फैसला लिया है। अब जवानों को सेवानिवृत्ति के दिन एक रैंक ऊपर का ऑनरेरी प्रमोशन मिलेगा, बिना पेंशन या लाभों में किसी बदलाव के। यह बदलाव सिर्फ पद नहीं, बल्कि सम्मान की भावना है।
सेवानिवृत्ति के दिन मिलेगा “सम्मान पद”
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआईएसएफ और असम राइफल्स के उन जवानों के लिए एक नया आदेश लागू किया है जो सिपाही से लेकर उप निरीक्षक स्तर तक सेवानिवृत्त हो रहे हैं। अब रिटायरमेंट के दिन उन्हें एक पद ऊपर का मानद (Honorary) प्रमोशन दिया जाएगा।
यह व्यवस्था ऐसे समय में लाई गई है जब जवानों को अक्सर महसूस होता था कि दशकों की सेवा के बाद भी उन्हें रिटायरमेंट के वक्त कोई विशेष पहचान नहीं मिलती। अब कांस्टेबल हेड कांस्टेबल बनकर, उप निरीक्षक निरीक्षक बनकर सेवानिवृत्त होंगे।
पेंशन और लाभों पर नहीं होगा असर
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह प्रमोशन सिर्फ मानद है और इसका असर जवानों की पेंशन, ग्रेच्युटी या किसी अन्य वित्तीय लाभ पर नहीं पड़ेगा। यह कदम सिर्फ सम्मान देने के लिए है, ताकि जवानों को लगे कि उनके वर्षों की सेवा को आखिरी दिन भी यादगार बनाया गया है।
एक अधिकारी ने बताया, “यह पहल जवानों के आत्मसम्मान और गर्व की भावना को बढ़ावा देने के लिए लाई गई है। यह कोई कागज़ी प्रोन्नति नहीं, बल्कि एक भावनात्मक कनेक्शन है।”
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असम राइफल्स के जवानों को भी मिलेगा लाभ
असम राइफल्स के लिए भी यही व्यवस्था लागू की गई है। यहाँ राइफलमैन को हवलदार, हवलदार को वारंट अधिकारी और इसी क्रम में नायब सूबेदार से सूबेदार तक की मानद प्रोन्नति दी जाएगी। इससे न सिर्फ जवानों में आत्मगौरव की भावना जगेगी, बल्कि युवाओं को भी बलों में भर्ती के लिए प्रेरणा मिलेगी।
बहुत से पूर्व जवानों ने इस फैसले को “देर से सही, लेकिन एक बहुत अच्छा कदम” बताया है। सोशल मीडिया पर कई परिवारों ने सरकार की इस पहल का स्वागत किया है। एक जवान के बेटे ने लिखा, “मेरे पापा अब हेड कांस्टेबल नहीं, ASI रिटायर होंगे। ये हमारे लिए बहुत गर्व की बात है।”
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मेरे हिसाब से यह फैसला केवल एक प्रोमोशन नहीं, बल्कि उस भावना का प्रतीक है जो अक्सर अदृश्य रह जाती है एक सिपाही का गर्व। यह बदलाव सिर्फ सिस्टम में नहीं, सोच में है।
सम्मान और सेवा एक साथ चलें, तो समाज और मजबूत होता है। इस फैसले से हजारों परिवारों को न सिर्फ खुशी, बल्कि गर्व भी मिलेगा। ऐसी ही देश से जुडी हर खबर के लिए हमारे साथ जुड़े रहें, और अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।