MP News: पहली बार पचमढ़ी के राजभवन में होगी मोहन कैबिनेट, विकास की योजनाओं को मिलेगी मंजूरी

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MP News: पचमढ़ी की पहाड़ियों में आज कुछ खास होने जा रहा है। पहली बार मध्य प्रदेश की कैबिनेट उसी धरती पर बैठक कर रही है जहां राजा भभूत सिंह ने अंग्रेजों को नाकों चने चबवाए थे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अगुआई में यह बैठक न केवल श्रद्धांजलि है, बल्कि विकास की नई पटकथा का आगाज़ भी है। सवाल अब ये है — क्या यह कदम पचमढ़ी की किस्मत बदल देगा?

इतिहास को नमन भविष्य की नींव

राज्य की मंत्रिपरिषद ने मंगलवार को पचमढ़ी में पहली बार बैठक की। लेकिन यह महज़ कोई प्रशासनिक बैठक नहीं थी। इसे महान स्वतंत्रता सेनानी राजा भभूत सिंह को समर्पित किया गया — जिन्हें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने “नर्मदांचल का शिवाजी” कहा। बैठक में उनके बलिदान को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘विरासत भी और विकास भी’ केवल नारा नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश सरकार का संकल्प है।

राजा भभूत सिंह अंग्रेजों की नींद उड़ाने वाला योद्धा

1857 की क्रांति में तात्या टोपे के साथ मिलकर सतपुड़ा की गोद में भभूत सिंह ने जो विद्रोह शुरू किया, उसने अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला दीं। 1860 तक उनके संघर्ष ने ब्रिटिश सेना को घुटनों पर ला दिया। आज वही पचमढ़ी, जहां कभी बंदूकें गरजी थीं, वहां अब विकास की योजनाएं गूंज रही हैं।

पचमढ़ी का गौरव लौटेगा?

कैबिनेट की बैठक में एक बड़ा संदेश ये भी था — पचमढ़ी को फिर से वैभवशाली बनाने का प्रयास। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले यहां विकास की कई बंदिशें थीं, जिन्हें हटा दिया गया है। उम्मीद की जा रही है कि अब यह क्षेत्र पर्यटन और रोजगार का नया केंद्र बनेगा।

जनजातीय बलिदान और पचमढ़ी की ऐतिहासिक पहचान

पचमढ़ी केवल पहाड़ियों और सुंदर वादियों का नाम नहीं, बल्कि जनजातीय समाज की कुर्बानियों की ज़मीन है। जल, जंगल और ज़मीन की रक्षा में इन समुदायों ने जो बलिदान दिया, उसे अब राज्य सरकार राष्ट्रीय विमर्श में लाना चाहती है।

विकास की योजनाओं की झलक

मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार युवाओं, किसानों, महिलाओं और गरीबों के सशक्तिकरण पर जोर दे रही है। वहीं दूसरी ओर, पचमढ़ी में वन्यजीवों और जैव विविधता को संरक्षित रखने के लिए जनजातीय समुदाय की भागीदारी को भी विशेष मान्यता दी जा रही है।

सिर्फ बैठक नहीं, बल्कि विज़न है यह आयोजन

कैबिनेट बैठक के बाद विधायकों और सांसदों का प्रशिक्षण कार्यक्रम भी यहीं आयोजित होगा, जो दर्शाता है कि सरकार प्रशासनिक निर्णयों को ग्राउंड लेवल तक पहुंचाने में भी गंभीर है।

पचमढ़ी में कैबिनेट बैठक को लेकर जनता दो हिस्सों में बंटी नज़र आ रही है। एक वर्ग को लगता है कि यह “सिर्फ दिखावा” है एक ऐतिहासिक स्थान को कैमरों के सामने सजाया गया है। लेकिन बड़ा वर्ग इस कदम को ऐतिहासिक और सकारात्मक मान रहा है। उनका मानना है कि पहली बार कोई सरकार इस क्षेत्र के गौरव को इतने प्रभावशाली तरीके से मंच पर ला रही है।

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मेरी राय में, यह केवल प्रतीकात्मकता नहीं, बल्कि एक साफ संदेश है कि सरकार अब शहरों से बाहर निकलकर जड़ों को पहचान रही है और यही ‘विरासत से विकास’ की असली शुरुआत है।

जब सरकारें इतिहास को झुककर सलाम करती हैं और उसी धरती पर विकास की नींव रखती हैं, तो उम्मीदें भी नई उड़ान भरती हैं। अब देखना यह है कि क्या यह शुरुआत केवल बैठक तक सीमित रहेगी या वाकई पचमढ़ी की किस्मत बदल देगी। ऐसी ही खबरों के लिए जुड़े रहें, और अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।

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  • Atmaram Maha Vidyalaya

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