MP News: मध्य प्रदेश के किसानों को अब केवल अन्नदाता नहीं, उद्यमी बनने का भी मौका मिलेगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक ऐतिहासिक ऐलान करते हुए कहा है कि जो किसान कृषि आधारित उद्योग लगाएंगे, उन्हें 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिलेगी। साथ ही, काम करने वालों को हर महीने ₹5000 वेतन भी दिया जाएगा। ये सिर्फ योजना नहीं, बल्कि एक नई सोच है – खेती से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते प्रदेश की।
खेती से उद्योग तक मुख्यमंत्री का बड़ा कदम
गाडरवारा की जनसभा में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जब ये घोषणा की कि प्रदेश में कृषि आधारित उद्योग लगाने वालों को 50% सब्सिडी मिलेगी, तो किसानों के चेहरों पर नई उम्मीदें झलकने लगीं। सरकार चाहती है कि किसान सिर्फ फसल न उगाएं, बल्कि उससे जुड़ा मूल्यवर्धन भी खुद करें – जैसे प्रोसेसिंग यूनिट, फूड पैकेजिंग, जैविक खाद कारखाने आदि। इससे किसानों को ज्यादा मुनाफा और ग्रामीण युवाओं को रोज़गार मिलेगा।
हर कामगार को मिलेगा ₹5000 वेतन
MP सरकार सिर्फ उद्योग लगाने में मदद नहीं कर रही, बल्कि वहां काम करने वालों को भी सीधे आर्थिक सहयोग दे रही है। सीएम ने ऐलान किया कि कृषि उद्योगों में काम करने वालों को ₹5000 प्रतिमाह मानदेय मिलेगा। इसका मकसद गांवों में युवाओं को काम के मौके देना और पलायन को रोकना है।
विकास के कामों की झड़ी
सीएम मोहन यादव ने नरसिंहपुर के गाडरवारा में 80 करोड़ से ज्यादा की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण व भूमिपूजन किया। इनमें सड़कें, स्कूल, बिजली सबस्टेशन और गौशाला जैसी योजनाएं शामिल हैं। साथ ही, मुख्यमंत्री सुगम बस योजना की शुरुआत का भी ऐलान हुआ – जिससे गांवों से शहरों तक की यात्रा आसान होगी।
महिलाओं और छात्रों को मिला सम्मान
महिला सशक्तिकरण को और मजबूत करते हुए सीएम ने दोहराया कि लाड़ली बहना योजना की राशि अगले 5 साल में ₹3000 महीना कर दी जाएगी। इसके अलावा, कक्षा 10वीं और 12वीं के मेधावी छात्रों और उत्कृष्ट शिक्षकों का मंच से सम्मान किया गया। यह सम्मान केवल पुरस्कार नहीं, एक प्रेरणा है – पढ़ने-लिखने और आगे बढ़ने की।
धार्मिक, सांस्कृतिक और जल संरक्षण पर भी फोकस
सीएम ने घोषणा की कि इस बार गुरु पूर्णिमा, कृष्ण जन्माष्टमी और दशहरे को विशेष रूप से मनाया जाएगा। साथ ही जलगंगा संवर्धन अभियान और नदी जोड़ो परियोजना के ज़रिए जल संरक्षण को गति दी जाएगी। ये सब सिर्फ विकास ही नहीं, संस्कृति और प्रकृति के संतुलन का संदेश भी देते हैं।
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यह योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ठोस पहल है। मध्यप्रदेश जैसे कृषि प्रधान राज्य में कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना समय की मांग है। 50% सब्सिडी और ₹5000 की मजदूरी सीधे उस वर्ग तक पहुंचती है जो अक्सर नीति-निर्माण में नजरअंदाज रह जाता है। हालांकि, असली कसौटी तब होगी जब ये योजनाएं ज़मीन पर उतरेंगी। अगर सही तरीके से क्रियान्वयन हुआ, तो यह योजना मध्यप्रदेश के ग्रामीण अर्थतंत्र को नई जान दे सकती है।
खेती से जुड़ी ये क्रांतिकारी योजना क्या वाकई किसानों की किस्मत बदल पाएगी? आपका क्या सोचना है इस बारे में?
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