मध्य प्रदेश में एक बार फिर बड़ा प्रशासनिक उलटफेर होने वाला है। दिग्गज IAS अफसरों के विभाग बदले जाएंगे और नई जिम्मेदारियों की लिस्ट लगभग तैयार हो चुकी है। मुख्यमंत्री मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन के बीच इसको लेकर अहम बैठक भी हो चुकी है। अब सवाल है किन चेहरों पर चलेगा तबादले का डंडा और इससे क्या बदलेगा प्रदेश का प्रशासनिक चेहरा?
मंत्रालय से जिलों तक बड़े बदलाव की तैयारी
मुख्यमंत्री मोहन यादव और मुख्य सचिव की संयुक्त बैठक के बाद आईएएस (IAS) अधिकारियों के तबादले लगभग तय माने जा रहे हैं। इस बार फेरबदल सिर्फ कलेक्टर या कमिश्नर स्तर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सचिव, एसीएस, और प्रमुख विभागों तक इसकी लहर जाएगी। खास बात ये है कि पांचवीं मंजिल, यानी मंत्रालय के शक्तिशाली पदों पर भी बदलाव की पटकथा लिखी जा रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खुद बड़े पैमाने पर फेरबदल के पक्ष में नहीं हैं। उनका फोकस प्रशासनिक निरंतरता और कार्यकुशलता बनाए रखने पर है। लेकिन कुछ महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां अब टालना मुश्किल हो गया है। ऐसे में फेरबदल संतुलित होगा। जहां ज़रूरत है, वहीं पर बदलाव।
देखें कौन-कौन से विभाग होंगे प्रभावित
लोक निर्माण विभाग, महिला एवं बाल विकास, खाद्य आपूर्ति जैसे विभागों में नए चेहरों की एंट्री लगभग तय मानी जा रही है।
PWD में अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई के स्थान पर नया मुखिया आ सकता है।
रश्मि अरुण शमी से एक विभाग का प्रभार हटाया जा सकता है।
जेएन कंसोटिया, जो हाल ही में गृह विभाग में आए हैं, उन्हें और बड़ी ज़िम्मेदारी दी जा सकती है।
खाली पदों पर होगी नियुक्ति, दतिया को मिलेगा नया कलेक्टर?
दतिया में कलेक्टर संदीप माकिन की सेवानिवृत्ति के बाद से खाली पड़ा पद फिलहाल जिला पंचायत CEO के पास अतिरिक्त प्रभार में है। अब संकेत मिल रहे हैं कि वहां स्थायी नियुक्ति जल्द होगी, ताकि जिले की विकास योजनाएं रफ्तार पकड़ सकें।
IAS और IPS के बीच तालमेल जरूरी
हाल ही में हुए IPS अधिकारियों के तबादलों के बाद अब IAS अफसरों की बारी है। यह कवायद सिर्फ फेरबदल नहीं, बल्कि बेहतर प्रशासनिक तालमेल और विभागीय समन्वय लाने की कोशिश है। सरकार चाहती है कि हर स्तर पर फैसले तेज़ी से हों और जनता को फायदा पहुंचे।
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मध्य प्रदेश के जानकारों का मानना है कि प्रशासनिक बदलाव ज़रूरी हैं, लेकिन बार-बार होने वाले तबादले कार्य की निरंतरता को नुकसान पहुंचाते हैं।
कई नागरिकों का ये भी कहना है कि कुछ अफसर वर्षों से प्रभावशाली विभागों में जमे हुए हैं — ऐसे में बदलाव सत्ता और प्रशासन दोनों के लिए ताजगी ला सकते हैं। वहीं कुछ लोग ये सवाल भी उठा रहे हैं कि क्या ये फेरबदल वास्तव में जनता के हित में होंगे या सिर्फ राजनीतिक संतुलन साधने की कवायद?
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