MP News: मध्य प्रदेश अब सिर्फ भू-हृदय नहीं, बल्कि इंफ्रास्ट्रक्चर के नए युग में कदम रखने जा रहा है। चंबल नदी पर बनने जा रहा है राज्य का पहला 6-लेन केबल स्टे ब्रिज, जो सिर्फ एक पुल नहीं, बल्कि तीन राज्यों को जोड़ने वाला जीवनरेखा बनकर उभरेगा। यह ब्रिज यूपी, राजस्थान और एमपी को सीधे जोड़ देगा। और इसका निर्माण नवंबर 2025 से शुरू होने वाला है।
मध्य प्रदेश में केबल स्टे ब्रिज
मध्य प्रदेश में बनने जा रहे इस केबल स्टे ब्रिज की खूबी इसकी बनावट में है। दो विशाल टावरों से जुड़े केबल्स पूरे ब्रिज को सहारा देते हैं न सिर्फ मजबूती के लिए, बल्कि डिज़ाइन में भी यह बेहद आकर्षक लगता है। प्रयागराज के नैनी ब्रिज जैसा दिखने वाला यह ब्रिज, 600 मीटर लंबा होगा और राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य के बीचोंबीच फैलेगा। इसके बनने से न केवल यातायात तेज होगा, बल्कि यह क्षेत्र आर्थिक और टूरिज्म के लिहाज़ से भी रफ्तार पकड़ेगा।
एक्सप्रेस-वे का हिस्सा, जो राज्यों को जोड़ेगा
मध्य प्रदेश में बनने जा रहे इस केबल स्टे ब्रिज का निर्माण 88.40 किमी लंबे ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे का हिस्सा है, जो आगरा से ग्वालियर को जोड़ेगा। पहले से प्रस्तावित इस पुल का स्वरूप बदलकर इसे अब एक आधुनिक केबल स्टे ब्रिज में तब्दील किया गया है। इसके लिए केंद्रीय परिवहन मंत्रालय और वाइल्डलाइफ एडवाइजरी बोर्ड से आवश्यक अनुमति मिल चुकी है।
प्राकृतिक क्षेत्र से गुजरता तकनीकी अजूबा
मध्य प्रदेश में बनने जा रहे इस केबल स्टे ब्रिज केवल तकनीकी दृष्टि से ही नहीं, बल्कि पर्यावरणीय नजरिए से भी चुनौतीपूर्ण है। इसका एक हिस्सा राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य और इको सेंसिटिव ज़ोन से होकर गुजरेगा। इसके लिए NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) पहले ही मिल चुका है। राजस्थान और एमपी दोनों ओर करीब 1-1.5 किलोमीटर हिस्सा वनक्षेत्र से होकर गुजरेगा, जिसके बदले वन विभाग को मुआवज़ा भी दिया गया है।
इस पुल की सबसे बड़ी विशेषता इसकी स्थिरता और प्राकृतिक आपदाओं से लड़ने की क्षमता है। चाहे तेज़ हवाएं हों या भूकंप, केबल स्टे ब्रिज का डिज़ाइन इन्हें मजबूत बनाता है। भारी ट्रैफिक, लंबी दूरी और स्थायित्व के लिहाज से यह ब्रिज अन्य पारंपरिक पुलों से कहीं अधिक सक्षम होता है।
मध्य प्रदेश में बनने जा रहे इस केबल स्टे ब्रिज इसके निर्माण की लागत भी लंबे समय में किफायती मानी जाती है और यही वजह है कि कई विकसित शहरों में इस तरह के ब्रिज टूरिज्म और विकास का केंद्र बनते हैं।
यह भी पढ़ें – CM मोहन यादव ने किया ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान का शुभारंभ, पर्यावरण दिवस पर उठाया बड़ा कदम
मुरैना जैसे क्षेत्रों के लिए यह ब्रिज केवल एक कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि संभावनाओं का नया द्वार है। ग्रामीण इलाकों तक एक्सप्रेस-वे की पहुंच, रोजगार के नए अवसर और इको-टूरिज्म की संभावनाएं ये सब इस पुल के इर्द-गिर्द आकार लेने लगेंगे। हालांकि यह भी जरूरी है कि पर्यावरणीय संतुलन के साथ विकास हो, ताकि अभयारण्य जैसे संवेदनशील क्षेत्र सुरक्षित रहें।
स्थानीय लोग भी उम्मीद कर रहे हैं कि यह प्रोजेक्ट वाकई में क्षेत्र की किस्मत बदल देगा। जैसा कि नैनी ब्रिज ने प्रयागराज के लिए किया।
क्या आप मानते हैं कि ऐसे हाईटेक ब्रिज हमारे विकास को एक नई दिशा देंगे?
अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर बताएं, और जुड़े रहें हमारे साथ देश के सबसे नए और रोचक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की खबरों के लिए।
यह भी पढ़ें – 6000 किलो हीरा बदलेगा मध्य प्रदेश की किस्मत, छतरपुर के जंगलों में छिपा 60 हजार करोड़ का खजाना