MP News: मध्य प्रदेश में पुलिस विभाग ने एक ऐसा कदम उठाया है जो ना सिर्फ भविष्य की ओर इशारा करता है, बल्कि पर्यावरण को भी राहत देने वाला है। अब पुलिस की गाड़ियाँ पेट्रोल-डीजल से नहीं, Electric Vehicles (EVs) से दौड़ेंगी। भोपाल जैसे बड़े शहरों से इसकी शुरुआत हो चुकी है, और ये बदलाव सिर्फ तकनीकी नहीं, सोच का भी प्रतीक है। और उम्मीद है कि बहुत जल्द पूरे मध्य प्रदेश में यह प्रोजेक्ट देखने को मिलने वाला है।
ई-व्हीकल पर ट्रेंड हुए पुलिसकर्मी
मध्य प्रदेश पुलिस ने इस ई-व्हीकल के पायलट प्रोजेक्ट क्रांतिकारी बदलाव के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है। विशेष सशस्त्र बल और पुलिस बल के 52 जवानों को ई-व्हीकल चलाने की विशेष ट्रेनिंग दी गई है। उन्हें सिखाया गया कि EVs को कैसे सुरक्षित, स्मार्ट और टिकाऊ तरीके से ड्यूटी में इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस ट्रेनिंग में न सिर्फ ड्राइविंग बल्कि ईवी के रख-रखाव, चार्जिंग और संचालन के बारीक पहलुओं पर भी फोकस रहा। यानी पुलिस सिर्फ EV चला नहीं रही, उसे समझ भी रही है।
सबसे बड़ी चुनौती चार्जिंग स्टेशन की कमी
हालाँकि यह पहल सराहनीय है, लेकिन इसकी राह में एक बड़ी अड़चन है जो कि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर है। पुलिस की गाड़ियों को हर दिन चार्ज करना जरूरी है, जिसमें 2-3 घंटे तक का समय लगता है। लेकिन हर जगह चार्जिंग स्टेशन नहीं हैं।
यही कारण है कि शुरुआत सिर्फ मुख्यालयों और शहरी इलाकों में की जा रही है। जब तक पूरे प्रदेश में चार्जिंग नेटवर्क नहीं फैलेगा, तब तक गांवों और दूर-दराज के इलाकों में EV को लागू करना एक सपना ही रहेगा।
कमांडेंट ने बताया क्यों जरूरी है यह कदम
23वीं वाहिनी के कमांडेंट कुमार प्रतीक ने साफ कहा कि पुलिस अब भविष्य की ओर कदम बढ़ा रही है। EV सिर्फ एक वाहन नहीं, बल्कि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की पहचान है। उनका मानना है कि आने वाले वर्षों में पुलिस विभाग की हर दिन की ड्यूटी में EV आम हो जाएगी, जिससे फ्यूल की लागत भी बचेगी और प्रदूषण भी घटेगा।
पायलट प्रोजेक्ट की सफलता से खुलेगा नया रास्ता
भोपाल जैसे बड़े शहरों में अगर ये प्रयोग सफल होता है, तो आने वाले समय में प्रदेश के हर जिले में EV वाली पुलिस पेट्रोलिंग देखने को मिल सकती है। लेकिन यह सब चार्जिंग सुविधा पर निर्भर करेगा। ग्रामीण इलाकों में अभी इसे लागू करना व्यावहारिक नहीं लगता।
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ई-व्हीकल के पायलट प्रोजेक्ट को लेकर लोग कह रहे हैं कि पुलिस जब पर्यावरण की चिंता करने लगे, तो बदलाव की उम्मीद की जा सकती है। कुछ लोगों को चिंता भी है कि अगर बीच ड्यूटी में बैटरी खत्म हो गई तो क्या होगा? लेकिन फिर भी, यह पहल देश के दूसरे राज्यों के लिए एक प्रेरणा बन सकती है।
मुझे लगता है बदलाव आसान नहीं होते, लेकिन जरूरी होते हैं। MP पुलिस का ये कदम ना सिर्फ ज़माने के साथ चलने की निशानी है, बल्कि देश की सरकारी मशीनरी में नई सोच के प्रवेश की शुरुआत भी है।
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