मध्य प्रदेश में शुरु हुआ 300 रुपये का सिक्का, जानें दुनिया के इस पहले क्वाइन की खासियत

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अब तक आपने 1, 2, 5, 10 या शायद 20 रुपए के सिक्के तो देखे होंगे लेकिन 300 रुपए का सिक्का? जी हां, अब भारत में ऐसा सिक्का भी जारी हो चुका है। प्रधानमंत्री मोदी ने देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के मौके पर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। लेकिन ये सिक्का सिर्फ कीमत में खास नहीं। इसके पीछे की सोच, विरासत और पहचान भी उतनी ही दमदार है।

पहली बार जारी हुआ ₹300 का स्मारक सिक्का

भोपाल में एक ऐतिहासिक मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 300 रुपए के स्मारक सिक्के का अनावरण किया। यह सिक्का देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती को समर्पित है। इस खास मौके पर जारी किया गया यह सिक्का न केवल अपनी कीमत बल्कि अपने डिज़ाइन और ऐतिहासिक महत्व की वजह से भी चर्चा में है।

देखें कैसा दिखता है ये खास सिक्का

35 ग्राम वज़न वाले इस सिक्के में 50% हिस्सा चांदी का है, जो इसे एक प्रीमियम स्मारक बनाता है। इसके एक तरफ अहिल्याबाई होल्कर की उभरी हुई छवि है, जिसके ऊपर और नीचे उनकी 300वीं जयंती का उल्लेख हिंदी और अंग्रेज़ी में किया गया है। बाईं ओर और दाईं ओर 1725–2025 का उल्लेख है, जो उनके जन्म और 300वीं वर्षगांठ को चिन्हित करता है। दूसरी तरफ अशोक स्तंभ, भारतीय मुद्रा चिन्ह (₹) और नीचे “300 रुपए” लिखा हुआ है। यह सिक्का न सिर्फ देखने में शानदार है, बल्कि इतिहास को छूने जैसा एहसास देता है।

सिर्फ सिक्का नहीं, डाक टिकट और पुरस्कार भी जारी हुए

इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया, जो देवी अहिल्याबाई की ऐतिहासिक भूमिका को सम्मान देता है। इसके साथ-साथ एक विशेष पुरस्कार भी प्रदान किया गया — छत्तीसगढ़ की डॉ. जयमति कश्यप को, जिन्होंने गोंडी भाषा को बचाने और महिलाओं को तस्करी से बचाने में उल्लेखनीय कार्य किया है। ये पूरा आयोजन सिर्फ एक जयंती नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत को सशक्त बनाने का प्रयास था।

संस्कृति मंत्रालय की पहल, गौरव का प्रतीक

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी यह स्मारक सिक्का उस विरासत का प्रतीक है जिसे अहिल्याबाई होल्कर ने पीछे छोड़ा। उन्होंने मंदिरों के निर्माण, जनकल्याण और सामाजिक सुधारों के ज़रिए जो योगदान दिया — उसे अब देश एक धातु के रूप में संजो रहा है। यह सिक्का सिर्फ एक याद नहीं, प्रेरणा का प्रतीक भी है।

लोगों की प्रतिक्रियाएं इस नई पहल को लेकर बेहद सकारात्मक हैं। सोशल मीडिया पर लोग इस बात से गर्वित महसूस कर रहे हैं कि भारत अब इतिहास और विरासत को नए ढंग से सम्मान देने लगा है। कई युवाओं ने लिखा, “300 रुपए का सिक्का तो कलेक्शन में चाहिए!

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मेरा खुद का मानना है कि यह एक बेहतरीन पहल है जब हम अपने नायकों को सिर्फ किताबों में नहीं, मुद्राओं और स्मतियों में जिंदा रखते हैं, तो अगली पीढ़ियों को उनसे जुड़ने का मौका मिलता है। ऐसे कदम इतिहास को जीवित रखते हैं और राष्ट्र की आत्मा को मजबूत करते हैं।

देश सिर्फ तकनीक या विकास से नहीं, अपनी विरासत को संजोने से महान बनता है। 300 रुपए का यह सिक्का हमें याद दिलाता है कि इतिहास हमारे जेब में भी जगह बना सकता है। ऐसी ही खबरों के लिए जुड़े रहें, और अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।

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  • Atmaram Maha Vidyalaya

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