प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भोपाल दौरे के बाद मध्य प्रदेश में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल होने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन अब उन जिलों के कलेक्टरों के नाम तय करेंगे जिनका तबादला जरूरी समझा गया है। इस प्रक्रिया को 10 जून तक अंजाम दिए जाने की तैयारी है।
सबसे पहले दतिया में बदलाव लगभग तय माना जा रहा है, जहां कलेक्टर संदीप मॉकिन का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। अब उनके स्थान पर नए कलेक्टर की नियुक्ति की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, जिन कलेक्टरों ने दो साल या उससे अधिक का कार्यकाल पूरा कर लिया है, या जो सरकार की प्राथमिकताओं में फिट नहीं बैठते, वे इस फेरबदल की सूची में हैं।
इन किन जिलों में हो सकता है बदलाव
सूत्रों के मुताबिक, चार से पांच जिलों में कलेक्टर बदले जा सकते हैं। जिन अधिकारियों ने डेढ़ साल से ज्यादा समय तक एक ही जिले में काम किया है, वे भी इस बदलाव की सूची में शामिल हैं।
इस बदलाव की बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव अब अपनी टीम को और अधिक चुस्त-दुरुस्त बनाना चाहते हैं, ताकि योजनाओं का जमीनी क्रियान्वयन बेहतर हो सके।
वित्त विभाग और कमिश्नर स्तर पर भी हलचल
केवल कलेक्टर ही नहीं, बल्कि प्रशासन के उच्च पदों पर भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
अपर मुख्य सचिव विनोद कुमार की रिटायरमेंट के बाद, वित्त विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी को अपर मुख्य सचिव (ACS) बनाए जाने की चर्चा तेज है।
सागर संभागायुक्त (Divisional Commissioner) वीरेंद्र सिंह रावत जून में रिटायर होने जा रहे हैं। उनके स्थान पर भी नए चेहरे की तलाश शुरू हो चुकी है।
देखें आखिर क्यों जरूरी है ये फेरबदल?
इस तरह का प्रशासनिक फेरबदल सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है, जो समय-समय पर किया जाता है ताकि शासन व्यवस्था में नयापन, जवाबदेही और निष्पक्षता बनी रहे।
पीएम मोदी के दौरे के बाद राज्य सरकार और अधिक सक्रिय नजर आ रही है, जिससे यह साफ हो रहा है कि प्रशासनिक टीम को अब ‘परफॉर्मेंस बेस्ड’ रूप में सजाया जा रहा है।
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तबादलों का सीधा असर जनता की योजनाओं के क्रियान्वयन पर पड़ता है। नए कलेक्टर और अधिकारी आमतौर पर नई ऊर्जा और दृष्टिकोण के साथ आते हैं। उम्मीद की जा रही है कि नए प्रशासनिक नेतृत्व से ज़िला स्तर पर कामों में गति आएगी, और जनता को सरकारी सेवाओं का लाभ जल्दी मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद मध्यप्रदेश प्रशासन में हलचल तेज हो गई है। अब देखना दिलचस्प होगा कि कौन से अधिकारी कहां भेजे जाते हैं और क्या इस बदलाव से प्रशासनिक सिस्टम में सकारात्मक असर देखने को मिलेगा।
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