सरकारी नौकरी की सबसे बड़ी ताकत मानी जाती है पेंशन की गारंटी। लेकिन अब केंद्र सरकार ने ऐसा नियम लागू कर दिया है जिससे लाखों कर्मचारियों की रिटायरमेंट प्लानिंग पर संकट मंडराने लगा है। अगर किसी ने जरा सी भी चूक की, तो पूरी पेंशन छिन सकती है। सवाल ये है क्या ये सख्ती जरूरी थी? और इसका असर किस पर पड़ेगा?
कर्मचारी बर्खास्त हुए तो पेंशन भी गई
22 मई 2025 से केंद्र सरकार ने CCS (Pension) Rule 37 (29C) में बड़ा बदलाव किया है। अब अगर कोई सरकारी कर्मचारी, जो बाद में किसी सार्वजनिक उपक्रम (PSU) में काम कर रहा है, अनुशासनात्मक कारणों से सेवा से बर्खास्त होता है, तो उसे पेंशन और रिटायरमेंट के बाकी लाभ भी नहीं मिलेंगे। हालांकि पहले ऐसा नहीं था नौकरी गई तो गई, मगर पेंशन बनी रहती थी। अब सरकार ने उस सुरक्षा घेरा को भी हटा दिया है। और यह सरकारी कर्मचारी के लिए बहुत बेकार नियम।
PSU कर्मचारियों के लिए भी बड़ा झटका
PSU में काम करने वाले वे सरकारी कर्मचारी जो पहले Old Pension Scheme (OPS) के तहत आते थे, अब अगर किसी अनुशासनात्मक मामले में फंसते हैं, तो पूरी जिंदगी की पेंशन भी जा सकती है। हालांकि अंतिम फैसला उस PSU को देखने वाले मंत्रालय की समीक्षा के बाद होगा, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है जब इतनी सख्ती लागू हुई है।
इन कर्मचारियों पर पड़ेगा असर
यह नियम उन सरकारी कर्मचारियों पर लागू होगा जिनकी नियुक्ति 31 दिसंबर 2003 या उससे पहले हुई थी। यानी ये बदलाव मुख्य रूप से OPS कर्मचारियों के लिए है। IAS, IPS, IFS अधिकारियों, रेलवे कर्मचारियों, दैनिक वेतनभोगी और NPS (New Pension Scheme) के तहत आने वाले कर्मचारियों पर यह नियम लागू नहीं होगा।
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हालांकि इन कर्मचारियों को राहत
हालांकि सरकार ने पेंशन पूरी तरह काटने के साथ-साथ कुछ इंसानियत भरे रास्ते भी खुले रखे हैं। अगर कर्मचारी भविष्य में अच्छा व्यवहार करता है, तो उसकी पेंशन आंशिक रूप से बहाल की जा सकती है। साथ ही, फैमिली पेंशन या मानवीय आधार पर कुछ आर्थिक सहायता भी दी जा सकती है। लेकिन इन सबका फैसला मंत्रालय की मर्जी पर टिका होगा यानी कोई गारंटी नहीं।
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सामान्य कर्मचारियों में इस फैसले को लेकर काफी उलझन और चिंता देखी जा रही है। एक कर्मचारी ने कहा, “अब तो ऐसा लग रहा है कि पेंशन भी किस्मत का खेल बन गई है।” कई लोगों का मानना है कि जो लोग सालों तक ईमानदारी से सेवा करते हैं, उनके लिए ये नियम बहुत कठोर है। एक गलती से अगर पूरी जिंदगी की पेंशन चली जाए, तो इससे भविष्य की सुरक्षा पूरी तरह हिल सकती है।
सरकार अनुशासन बनाए रखना चाहती है, यह समझ आता है। लेकिन हर मामला अलग होता है और पेंशन सिर्फ पैसे नहीं, सम्मान की बात भी होती है जो कि उनके बुढ़ापे में काम आता है कोई भी फैसला इतना सख्त न हो कि कर्मचारियों में डर की भावना बस जाए। सुधार का मौका और इंसानियत की जगह हमेशा रहनी चाहिए।
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सरकारी सेवा में काम करने वाले लाखों लोगों के लिए ये बदलाव एक चेतावनी है अब सिर्फ नौकरी नहीं, बर्ताव पर भी भविष्य टिका है। हालांकि आपकी इसमें क्या राय है अपनी राय हमे नीचे करके कमेंट करके जरूर बताएं साथ ही इस तरह की ख़बरों के लिए जुड़े रहे।