MP News: मध्य प्रदेश सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए लगभग 12,000 पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों को उनके गृह तहसीलों और अनुविभागों से स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है। यह फैसला उन शिकायतों के बाद आया है, जिनमें आरोप लगाया गया था कि अपने गृह क्षेत्रों में पदस्थ अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। इस कदम का उद्देश्य प्रशासनिक पारदर्शिता सुनिश्चित करना और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है।
गृह तहसीलों से हटाए जाएंगे पटवारी और आरआई
राजस्व विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों की पहचान करें जो अपने गृह तहसीलों और अनुविभागों में पदस्थ हैं, और उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित करें। यह निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि अपने गृह क्षेत्रों में पदस्थ होने के कारण अधिकारियों पर पक्षपात और भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं।
भ्रष्टाचार के मामलों में बढ़ोतरी
राजस्व विभाग के अधीन कार्यरत पटवारियों पर रिश्वत लेने के कई मामले सामने आए हैं। लोकायुक्त संगठन की कार्रवाई में पिछले एक साल में 20 से अधिक पटवारी रिश्वत लेते पकड़े गए हैं। इन घटनाओं ने सरकार को सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर किया है।
प्रशासनिक सुधार की दिशा में कदम
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस निर्णय को मंजूरी दी गई। सरकार का मानना है कि यह कदम प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और जनता का विश्वास प्रशासन में मजबूत होगा।
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इस निर्णय पर जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कुछ लोगों का मानना है कि यह कदम भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में मदद करेगा, जबकि अन्य इसे एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया मानते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस निर्णय को सही तरीके से लागू किया गया, तो यह प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार ला सकता है।
मध्य प्रदेश सरकार का यह निर्णय प्रशासनिक पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे कितनी प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है।
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