मध्य प्रदेश सरकार ने वित्तीय प्रशासन को और अधिक दक्ष बनाने के लिए एक अहम कदम उठाया है। राज्य सरकार अब अपने वित्त सेवा से जुड़े अधिकारियों को दो वर्षीय फाइनेंशियल मैनेजमेंट कोर्स कराएगी, जिससे वे खजाने की जिम्मेदारी को बेहतर ढंग से निभा सकें। इस कोर्स के दौरान अधिकारियों को वेतन और भत्ते मिलते रहेंगे, लेकिन कोर्स की फीस और व्यक्तिगत खर्च की जिम्मेदारी स्वयं अधिकारियों की होगी।
प्रशिक्षण के पीछे सरकार की मंशा
मध्य प्रदेश सरकार का मानना है कि वित्तीय मामलों में विशेषज्ञता रखने वाले अधिकारियों को तकनीकी और रणनीतिक प्रशिक्षण दिया जाना आवश्यक है ताकि खजाने के प्रबंधन में पारदर्शिता आए, बजट का सही उपयोग सुनिश्चित हो सके और लीकेज जैसी समस्याओं को रोका जा सके। यही कारण है कि वित्त विभाग ने इस कोर्स की शुरुआत का निर्णय लिया है, जो भविष्य में राज्य की आर्थिक नीतियों और क्रियान्वयन में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
आवेदन की प्रक्रिया और समयसीमा
वित्त विभाग ने राज्य सेवा के उन अधिकारियों से आवेदन आमंत्रित किए हैं जो इस दो वर्षीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं। इच्छुक अधिकारी 26 मई तक अपना आवेदन वित्त विभाग की स्थापना शाखा में जमा करा सकते हैं। विभाग ने साफ किया है कि समयसीमा के बाद आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे, और चयन उन्हीं अधिकारियों का होगा जो विभाग द्वारा निर्धारित योग्यता एवं शर्तों को पूरा करते हों।
कोर्स की संरचना और डिग्री
यह दो वर्षीय कोर्स नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान (NIFM) द्वारा जेएनयू के सहयोग से संचालित किया जाएगा। इस पाठ्यक्रम के अंत में अधिकारियों को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से ‘मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन इन फाइनेंशियल मैनेजमेंट’ की डिग्री प्रदान की जाएगी। कोर्स सत्र जुलाई 2025 से आरंभ होगा और यह 2027 तक चलेगा। पाठ्यक्रम को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि इसमें सरकारी वित्त, बजट निर्माण, व्यय प्रबंधन, ऑडिट और वित्तीय विश्लेषण जैसे जमीनी विषयों को शामिल किया गया है।
वेतन और खर्च का निर्धारण
हालांकि इस कोर्स में नामांकित होने वाले अधिकारियों को वर्तमान पद के अनुरूप वेतन और भत्ते मिलते रहेंगे, लेकिन कोर्स से जुड़े अन्य व्यक्तिगत खर्च जैसे बोर्डिंग चार्ज, स्पोर्ट्स फीस, पावर कंजम्प्शन, लैब उपयोग आदि का भुगतान अधिकारियों को स्वयं करना होगा। यह सुनिश्चित किया गया है कि राज्य सरकार का खर्च केवल उनके वेतन और तय भत्तों तक सीमित रहेगा, जिससे शासन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ न पड़े।
अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण भी शामिल
इस पाठ्यक्रम को वैश्विक दृष्टिकोण देने के लिए एक विशेष व्यवस्था की गई है। कोर्स के अंतर्गत दो सप्ताह की अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक गतिविधियां भी शामिल होंगी। इसके अंतर्गत चयनित अधिकारी विदेश यात्रा पर भेजे जाएंगे, जहां उन्हें उन्नत वित्तीय प्रणाली, अंतरराष्ट्रीय बजटिंग मॉडल और आधुनिक वित्तीय टेक्नोलॉजी के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी मिलेगी। इन यात्राओं से अधिकारियों को वैश्विक वित्तीय प्रक्रियाओं का अनुभव होगा, जिससे वे राज्य में नवाचार आधारित वित्तीय रणनीतियां विकसित कर सकें।
प्रशिक्षण से जुड़े संभावित प्रभाव
विशेषज्ञों की राय में यह निर्णय न केवल अफसरों की कार्यकुशलता बढ़ाएगा, बल्कि राज्य के समग्र वित्तीय प्रशासन को आधुनिक और पारदर्शी बनाएगा। आज के बदलते आर्थिक परिवेश में, सरकारी अधिकारियों का तकनीकी रूप से सशक्त होना बेहद आवश्यक है। यह कोर्स अफसरों को वैश्विक मानकों पर खरा उतरने की दिशा में अग्रसर करेगा। यदि इसे सफलतापूर्वक लागू किया गया, तो अन्य राज्य भी इस मॉडल को अपनाने की दिशा में सोच सकते हैं।
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वित्त सेवा से जुड़े अधिकारियों को MBA स्तर का वित्तीय प्रशिक्षण देना एक दूरदर्शी निर्णय है। यह कदम भविष्य की आर्थिक चुनौतियों से निपटने, शासन की विश्वसनीयता बढ़ाने और दक्ष मानव संसाधन तैयार करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। अब यह जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों पर है कि वे इस अवसर का लाभ उठाएं और राज्य के आर्थिक ढांचे को और मजबूत करें।
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