MP Transfer 2025: मध्य प्रदेश में तबादलों का मौसम ज़ोरों पर है, लेकिन इस बार उम्मीदों से कई गुना ज़्यादा भीड़ नजर आ रही है। जहाँ मध्य प्रदेश सरकार सिर्फ 50 हजार ट्रांसफर की योजना बना रही है, वहीं अब तक 1.5 लाख से ज़्यादा आवेदन पहुँच चुके हैं। सबसे ज़्यादा दवाब शिक्षा विभाग पर है, वहीं विधायक और मंत्री भी इस पूरी प्रक्रिया में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
तबादलों की भारी भीड़, सीमित मौके
मध्यप्रदेश सरकार ने इस बार 50 हजार तबादलों को मंज़ूरी देने का प्लान बनाया है, लेकिन 1 मई से 24 मई के बीच ही 1.5 लाख से ज़्यादा आवेदन सरकार तक पहुँच चुके हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में सबसे ज्यादा 35 हजार से अधिक ट्रांसफर की मांग सामने आई है। भोपाल जैसे बड़े शहरों में हाल यह है कि एक पद के लिए 40 से अधिक आवेदन मिल चुके हैं। राजस्व विभाग में 8 हजार और स्वास्थ्य विभाग में 4 हजार से ज्यादा आवेदन दर्ज हुए हैं।
विधायक की सिफारिश बनी ट्रांसफर की चाबी
जिन क्षेत्रों में ट्रांसफर की मांग की गई है, वहाँ संबंधित विधायक की सहमति को अब प्राथमिकता दी जा रही है। भले ही सरकार बीजेपी की हो, लेकिन कांग्रेस विधायकों की सिफारिशें भी उतनी ही अहम मानी जा रही हैं। इससे यह साफ है कि विभागीय मंत्री किसी भी पार्टी के विधायक को नाराज़ करने का जोखिम नहीं उठाना चाहते।
क्लास-1 और क्लास-2 के तबादले सीधे सीएम की देखरेख में
बड़े पदों पर ट्रांसफर (Class-1 और Class-2) को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। इन ट्रांसफरों पर मुख्यमंत्री मोहन यादव के समन्वय में फैसला लिया जाएगा। यह नियम भी दोहराया गया है कि कोई भी अधिकारी/कर्मचारी एक ही स्थान पर 3 साल से अधिक तैनात नहीं रहेगा। इसके अलावा पति-पत्नी की स्वेच्छा से एक स्थान पर ट्रांसफर की मांग को प्राथमिकता दी जा रही है।
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सीमित पदों वाले विभागों में भारी दबाव
कुछ विभागों में पद सीमित हैं लेकिन वहाँ भी आवेदन बहुत ज़्यादा आ रहे हैं। खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग में केवल 250 पद हैं, जिनमें से 147 पहले ही भरे जा चुके हैं, ऐसे में 10% नियम के हिसाब से सिर्फ 14-15 ट्रांसफर ही संभव हैं। कोऑपरेटिव विभाग की हालत भी कुछ ऐसी ही है, जहाँ सीटें कम और आवेदन ज्यादा हैं। जनजातीय विभाग में ट्रांसफर प्रक्रिया पर फिलहाल मंत्री के विवादों के कारण ब्रेक लगा हुआ है।
संविदाकर्मियों के लिए अलग प्रक्रिया
मध्य प्रदेश में लगभग ढाई लाख संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं, और अब इनके लिए भी ट्रांसफर की राह खुली है। लेकिन इसके लिए पहले उन्हें अपना पुराना एग्रीमेंट खत्म करना होगा, और नई जगह पर फिर से नया एग्रीमेंट साइन करना पड़ेगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने इस नीति को पहले लागू किया है और अब यह बाकी 20 विभागों में भी लागू होने जा रही है।
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तबादला तारीख बढ़ने की संभावना
अभी तक ट्रांसफर की अंतिम तारीख 31 मई तय की गई है, लेकिन भारी संख्या में आए आवेदनों को देखकर सरकार एक सप्ताह की बढ़ोत्तरी पर विचार कर रही है। गौरतलब है कि पिछले तीन साल से ट्रांसफर पर रोक लगी हुई थी, इसलिए इस बार अफसरों और कर्मचारियों में खासा उत्साह देखा जा रहा है।
मुझे लगता है कि इस बार तबादला प्रक्रिया सिर्फ एक प्रशासनिक कार्य नहीं, बल्कि राजनीतिक और व्यक्तिगत समीकरणों का खेल बन गई है। जहाँ एक तरफ कर्मचारी उम्मीद लगाए बैठे हैं, वहीं दूसरी ओर विधायकों और मंत्रियों की सिफारिशें इस प्रक्रिया को कहीं न कहीं प्रभावित कर रही हैं। लोगों की राय भी यही है कि तबादला नीति को और पारदर्शी बनाना चाहिए, ताकि किसी एक क्षेत्र या व्यक्ति को विशेष लाभ न मिल सके।
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