मध्य प्रदेश के लाखों असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के चेहरे पर मुस्कान लौटने वाली है जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जबलपुर के बरगी प्रांगण से ₹150 करोड़ सीधे श्रमिकों के खातों में स्थानांतरित करेंगे। यह राशि संबल योजना के तहत आर्थिक सहारा देने वाले 6,821 प्रकरणों में डाले जाने जा रहे हैं। जानिए क्यों यह पहल है एक बड़े बदलाव की शुरुआत…
संबल योजना 2025
संबल योजना असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को जन्म से मृत्यु तक आर्थिक मदद प्रदान करती है। दुर्घटना से मृत्यु के मामले में लाभार्थी परिवार को ₹4 लाख, सामान्य मृत्यु पर ₹2 लाख, स्थायी अपंगता पर ₹2 लाख, आंशिक विकलांगता पर ₹1 लाख और अंत्येष्टि सहायता के रूप में ₹5,000 मिलता है। यह नुस्खा केवल आकड़ों में नहीं रहा—किसानों, भवन निर्माण श्रमिकों और अन्य श्रमिकों ने कई संकटों के बीच इसका सहारा लिया है, जिससे परिवारों को समय पर राहत मिली है।
₹150 करोड़ का भुगतान क्यों खास है?
इस एकमुश्त भुगतान के पीछे सिर्फ पैसों का ट्रांसफर नहीं है, बल्कि सरकार ने उस भरोसे को बनाए रखा है जो पहले कभी टूटा था। जबलपुर के बरगी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एक डिजिटल सिंगल-क्लिक प्रणाली से ये राशि डालेगे, जिससे पारदर्शिता और प्रत्युत्तर की गारंटी होगी। इससे 6,821 श्रमिक परिवारों को वित्तीय दुनिया से सीधे सुरक्षा जोड़ी मिलेगी।
क्यों बनी MP की संबल योजना मॉडल?
मध्यप्रदेश की संबल पहल अकेली राज्य सरकार नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए मिसाल बन चुकी है। अब तक लगभग 1.76 करोड़ श्रमिकों का पंजीकरण किया जा चुका है। इसके दायरे में प्रसूति सहायता, बच्चे की शिक्षा खर्च, राशन पात्रता और गिग-वर्कर सहित कई श्रेणियां शामिल की जा चुकी हैं। सरकार ने महिला श्रमिकों को प्रसूति पर ₹16,000, बच्चों की महाविद्यालय शिक्षा का पूर्ण शुल्क तथा राशनकार्ड आधारित लाभ देने जैसी व्यापक कवायद की है, जिससे योजना सैद्धांतिक नहीं, बल्कि सशक्त विकल्प बन चुकी है।
यह भुगतान किस कार्यक्रम में होगा?
संबल योजना का ये भुगतान 28 जून, 2025 को बरगी, जबलपुर में आयोजित समारोह में किया जाएगा। मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव होंगे, और यह राशि डिजिटल माध्यम से सीधे लाभार्थियों को भेजी जाएगी। एक तरफ जहां बैंक खाते में पैसा जाएगा, वहीं यह उन परिवारों के कठिन समय में संबल बनेगा।
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संबल योजना के लाभार्थियों ने सरकार की इस पहल को ‘आधी रात में दिया गया उजाला’ कहा है। एक वृत्तचित्र श्रमिक ने बताया, “जब तक बच्चों के स्कूल वाले पैसे न आए, तब तक रोड ट्रिप का कोई सवाल ही नहीं था। अब हर मोड़ पर आत्मविश्वास मिलेगा।” स्थानीय संस्था के कार्यकर्ता कहते हैं कि संबल अब केवल योजना नहीं, बल्कि श्रमिकों की आत्मसम्मान की गारंटी बन गया है।
ऐसी ही सशक्त योजनाओं की जानकारी के लिए जुड़े रहें और बताएं कि क्या आपके आस-पास कोई ऐसे श्रमिक हैं जिन्हें यह सहायता मिली? उनकी कहानी हमारे साथ जरूर साझा कीजिए।
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