MP News: मध्य प्रदेश में होने जा रही है देश की सबसे बड़ी सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना की शुरुआत

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल एक बार फिर देशभर की सुर्खियों में है। कारण है 10 जून को होने वाली ‘सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना समिट’ — एक ऐसा आयोजन जो प्रदेश के लाखों किसानों के भविष्य को रोशन कर सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में इस समिट में देशभर के निवेशक, ऊर्जा क्षेत्र के दिग्गज और नीति-निर्माता हिस्सा लेंगे।

क्या यह योजना मध्यप्रदेश को ‘ग्रीन एनर्जी हब’ बना देगी? और क्या इससे किसानों को सच में राहत मिलेगी? यही सवाल आज हर जुबान पर है।

10 जून को भोपाल बनेगा देश का ऊर्जा केंद्र

इस मंगलवार, कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, भोपाल में सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक होने वाला यह समिट ऊर्जा क्षेत्र की सबसे बड़ी पहलों में गिना जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार की साझेदारी में हो रही यह बैठक सौर ऊर्जा को कृषि फीडरों से जोड़ने के लिए है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच के अनुरूप यह योजना किसानों को 24 घंटे स्थायी, सस्ती और स्वच्छ बिजली देने के उद्देश्य से बनाई गई है।

क्या है ‘सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना’?

सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना के अंतर्गत राज्य के 1900 से ज्यादा कृषि फीडरों को 100% सौर ऊर्जा से जोड़ा जाएगा। इसका लाभ सीधे 10 लाख से अधिक किसानों को मिलेगा, जिन्हें खेती के लिए रीलायबल बिजली दी जाएगी। साथ ही, फीडरों पर Reactive Power Support, Advanced Metering, Remote Monitoring जैसी आधुनिक तकनीकें भी लगाई जाएंगी। सरकार का दावा है कि इससे कृषि लागत घटेगी, उत्पादन बढ़ेगा और प्रदेश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता भी मज़बूत होगी।

निवेशकों के लिए सुनहरा मौका

सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना समिट सिर्फ सरकारी घोषणाओं तक सीमित नहीं है। सरकार ने इसे ‘व्यापक निवेश अवसर’ बताया है, जहां निजी कंपनियां, स्टार्टअप्स और निवेशक इस योजना में हिस्सा ले सकते हैं।

ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने संकेत दिया है कि योजना के ज़रिए एक ऐसा ईकोसिस्टम तैयार किया जाएगा जहां सरकारी और निजी क्षेत्र मिलकर सौर ऊर्जा क्रांति को दिशा देंगे।

क्या खेती को मिलेगा स्थायी समाधान?

सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना का एक सबसे बड़ा पहलू यह है कि यह पर्यावरण और किसान — दोनों की चिंता को एक साथ संबोधित करती है। जिस समय जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संकट दुनिया भर में चिंता का विषय हैं, वहां यह योजना स्थायी खेती और ग्रीन फ्यूचर की ओर एक मजबूत कदम मानी जा रही है।

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विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह योजना सफल रही तो यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए भी रोल मॉडल बन सकता है। भोपाल के स्थानीय किसानों से लेकर नीति विशेषज्ञों तक, इस योजना को लेकर उम्मीद और जिज्ञासा दोनों हैं। जहां एक ओर किसान इसे “बिजली की आज़ादी” बता रहे हैं, वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि ब्यूरोक्रेसी और इंफ्रास्ट्रक्चर की चुनौतियों से पार पाना आसान नहीं होगा। लेकिन एक बात तय है — 10 जून को देशभर की निगाहें भोपाल पर टिकी होंगी।

‘सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना समिट’ सिर्फ एक समिट नहीं, बल्कि एक मौका है खेती को बदलने, किसानों को सशक्त बनाने और पर्यावरण को बचाने का। अब देखना यह है कि सरकार की मंशा ज़मीन पर कितनी ईमानदारी से उतरती है।

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  • Atmaram Maha Vidyalaya

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